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पशु
व्याख्यान-ग्यारहवाँ.
केसरी सिंह वर्ष में एक वक्त संसार का सेवन करता . है। उसका मनोवल कितना मक्कम (दृढ) होगा? कुत्ता नित्य संसार सेवता है क्योंकि वह हलके मनका होता है। धर्मी पुरुष सिंह जैसे होते हैं कुत्ता जैसे नहीं होते हैं। . अति चिन्ता करने से शक्ति घट जाती है। ज्ञानतंतु __ कमजोर होजाते हैं । शरीर, क्षीण बनता है। इसी लिये
चुद्धिशाली मनुष्य को चिन्ता का त्याग करना चाहिये । . एक राजा था। उसके एक रानी थी। राजा विष्णु धर्मी था। रानी जैन मतावलम्मी थी। कर्म के योग से दोनों का संयोग हुआ। रातको. रोज राजा-रानी धर्म की चर्चा करते थे। राजा वैष्णव धर्म की प्रशंसा करता था
और रानी जैन धर्म की कीर्ति गाथा गाती थी। राजा विचार करता था कि मेरी रानी वैष्णव धर्म को मानने लगे तो ठीक । लेकिन कव हो ?. जैन धर्म ऊपर किसी
तरह से अभाव हो तो। रानी विचार करने लगी कि • मेरा प्रियतम राजा जैनधर्मी बने तो कितना अच्छा ! राजा
जैनधर्मी हो जाय तो हम दोनों मिलकर के सुन्दर आराधना कर सकते हैं । एक दिवस सन्ध्या का समय था। राजा अपनी अगासी में चक्कर लगा रहा था। वहाँ उनकी दृष्टि सामने के वैष्णव मन्दिर में प्रवेश करते हुए जैन साधुके ऊपर पडी। राजा खुशी हुआ । सेवकों के द्वारा मालूम हुआ कि जैन साधु महाराज आज सन्ध्या के समय आयें हैं, सुबह आगे चले जायेंगे। यह सुनकर राजा खूव प्रसन्न हुआ। राजाने एक अभिनव युक्ति रची। राजा की युक्ति का अमल होने में कितनी देर लगती है ! राजा की आज्ञा हुई । रूपकला जैसी नगर की गणिका को जल्दी