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________________ - व्याख्यान-आठवां .. निकट के उपकारी भगवान श्री महावीर प्रभु फरमाते हैं कि धनवात, तनवात, और धनोदधि ये पदार्थ जमे. हुये (थीजेला) घी के समान हैं। अनादि कालसे हैं। उनके आधार पर ही देवों के विमान टिके हैं। : __.. आकाश का मतलब है पोलाण यानी पोल अथवा. खाली जगह । आकाश दो प्रकार का है (१) लोभाकाश (२) और अलोकाकाश । लोकाकाश का प्रमाण चौदह - रज्जू का है । रज्जू एक जात का माप है । निमित्र मात्रम.. एक लाख योजन जानेवाला देव छः महीना तक जितना . अन्तर (दूरी) काटता है। उसे पक रज्जू कहते हैं। . .. - अथवा ३८१२७९७० मणका एक मार एले एक हजार. भारवाला लोहे के गोले को कोई देव हाथमें लेकर जोर. शोरसे अनन्त आकाशमें उछाले, वह लोहेका गोला एक.. धारसे अविच्छिन्न पनेसे गिरता गिरता छह महीना, छह : . दीन, छह पहोर (प्रहर) छह घड़ी और छह समयमें जितना... नीचे आवे वहां तकका माप "एक राज" कहलाता है।. एसे चौदह राज प्रमाण यह लोकाकाश (ब्रह्मांड) है। यह माप सुनकर भड़क जाना. नहीं है। आजके खगोल विज्ञान ने भी.आकाशी अन्तर बताने के लिये एसे हो उपमानों का आश्रय लिया है । पदार्थों की गतिमें ग्रह वगैरह के.
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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