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[४] रत्नावली ११, टोडरानंद १२, वैद्य विनोद १३, वैद्यकसारोद्वार १४, श्रुश्रुत १५ (१) जोग चिन्तामणि १६ इत्यादिक ग्रन्था कि साखा लेकर में यह संस्कृत सलोक बंध कीया है। कल्याणदास पंडित कहता है, बालक की चिकित्सा का उपाय को देख कीजे। अहिछत्रा नगर के विषे बहू पंडितां के विपें सिरोमण रामचंद नामा पंडित रामचन्द्रजी की पूजा विषे सावधान । सो रामचन्द्र पंडित कैसो है । सातां कहतां सजनां नै वि पंडित मनुष्यां ने प्रीय छै । तिसके महिधर नामा पुत्र भयौं । सो कशो हुवौं । पंडत मनुस्यां के ताइ खुस्यालि के करणहारे हुये । अत्यंत महापंडित होत भये । सर्व पंडित जनौं के वंदनीक भये । फेर महिधर पंडित केसे होत भये । श्री लक्षमीजी के नृसिंघजी के चर्ण कमल सेवन के विपें ,ग कहतां भंवरा समान होत भयो । माहा वेदांती भये । आतम ग्यानी भये । सर्व शास्त्र भागम अर्थ तिसके जांणणहार भये । महा परमागम शास्त्र के बकता भये । तिसके पुत्र कल्याणदास नामा होत भये । माहा पंडित सर्व शास्त्र के वकता जाणणहार वैद्यक चिकित्सा विषे महा प्रविण सर्व सास्त्र वैद्यक का देख कर परोपगार के निमित्त पंडितां का ग्यान के वासतै यह वाल चिकित्सा ग्रन्थ करण वास्ते कल्याणदास पंडित नामा होत भये । तीसनै करी सलोक बंध । तिसकी भाषा खरतर गच्छ माहि जनि वाचक पदवी धारक दीपचन्द इसे नामैं, तिसनै कह्या यह संस्कृत ग्रन्थ कठिन है सौं अग्यानी मंद बुद्धि मनुष्य समझे नही तिस वास्तै वालतंत्र ग्रन्थ भाषा वचनिका करे, मंद बुद्धि के वास्तै और या ग्रन्थ विषै पोडश प्रकार की बाँझ स्त्री कथन, नामर्द का उपाय, कथन, गर्भ रक्षा विधान कथन, बंध्या स्त्रि का रुद्र (ऋतु) स्नान कथन, कष्टि स्त्रि का उपाय, बालक की दिन मास वर्ष की चिकत्सा कथन, वलि विधन कथन; धाय का लक्षण कथन, दुध श्रुद्ध कर्ण का उपाय, और सर्व बालक का रोगां का उपाय कथन, इसौ जो वालतंत्र ग्रन्थ सर्व जन को सुखकारी हुवौ । इति वालतंत्र ग्रन्थ भाषा वचनिका सर्व उपाय कथन पनरमौं पटल पूरो हूवौ ॥ १५ ॥ इति श्री बालतंत्र ग्रन्थ वचनिका बंध पूरी पूर्णमस्तु ।।
लेखन-लिपीकृतं पाराश्वर ब्राह्मण शिवनाथ, नीवाज ग्राम मध्ये । संवत् १९३६ रा वर्ष १८०१ असाढ़ शुक्ल ९ शनी ।
प्रति-पत्र ७२, । पंक्ति ११, । अन्तर ४०, । साईज ११४५ विशेष-~मूल ग्रन्थकार के सम्बन्ध मे देखें "ऐतिहासिक संशोधन ग्रन्थ ।
(अभय जैन ग्रन्थालय)