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________________ २२ ] [ पद्मिनी चरित्र चौपई चंदवदन ऊपरि घटा रे, सोह वेणीटण्ड रे रग०। (अथ) मृगानयणी ऊपरड रे, बायो जाल 'प्रचण्ड रे रग० ||३|| ताटी मरकत मणि तणी रे, अथवा जाणि भुजंग रे रंग घाटी मन घेरण तणी रे, पाटि वणीय सुचंग रे रंग ॥४॥ सैंघो सिंदूरइ भयो रे, जाणे रविकर एक रे रंग। कब तम पामी एकली रे, बाधी सव धरि टेक रे रंग०॥५॥ सीसफूल तारा भला रे, अरधचंद सम भाग रे रग। विंदी जाणे मणि धरी रे, पीवत अमृत नाग रे रंग ॥६॥ श्रवण किना सोवन तणी रे सीप सुघट मन फंढ रे रग० । कुंडल रे मिसि देखवा रे, आया सूरज चंद रे रंग ॥५॥ अणियाले काजल भरी रे, निपट रसीले नयण रे रग० । चंचल चतुरां चित हरइ रे, देखत उपजे चैन् रे रंग० ॥८॥ नयण कमल ऊपरि वण्या रे, भूहा भमर समान रे रंग दीपशिखा सम नासिका रे, देखण रूप निधान रे रंग ॥ नासा शुक सोवन तणी रे, बेसर मोती जेह रे रंग आव सोवट ये चंच में रे, विधु वालक सस्नेह रे रंग ॥१०॥ काया सोवन तसु तणी रे, गोरा गाल रसाल रे रंग। आरीसा कंदर्प तणा रे, चंद" सरीसो भाल रे रंग० ॥११॥ पाका बिंव मधु समा रे, ओपित विद्रुम जाण रे रंग । मामोल्या जिम रातड़ा रे, अधर सुधारस खाण रे रंग० ॥१२॥ १ कंचि २ अंव मउर ३ ताया सोवन तवक सा ४ नो ५ कुकम जेवा लाल रे०
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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