________________
m
~
-
~
n
n
on.
२० ]
[ पद्मिनी चरित्र चौपई
प्रथम खंड प्रशस्ति गिरुओ गच्छ खरतरतणो, जाणे सकल जीहानों रे। गच्छनायक लायक बडो, जंगम युगिपरधानो रे ॥६।मोगा श्री जिनरंगसीसरु, तसु श्राविक सिरताजो रे। कुल मडण कटारीया, मंत्रीसर हंसराजो रे ॥णामो०॥ जेहनो जस जगि महमहें, करणी सुकृत कुवेरो रे। परम भगति गुरुदेव रा, वड दाता मन मेरो रे ॥८॥मो०। भाई डुंगरसी भलो, लघु बंधव गुण वृदो रे। दुखिया दलिद्र भंजणो, भागचंद कुलचंदो रे । मो०॥ तास तणो आदर करी, संवंघ रच्यो सिरताजो रे। पाठक ज्ञानसमुद्र तणा, शिष्य मुख्य ज्ञानराजो रे ॥१०||मोका सुपसाई श्री गुरु तणे, 'लब्धोदय' गणि भाखें रे । प्रथम खंड पूरौ कियो, धरम तणे अभिलाषै रें ॥११॥मो॥ इति श्री राणा श्रीरतनसिह पदमणी परणी पनोता
प्रथम खण्ड ||
-
इति श्री पद्मिनी चरित्रे ढाल भाषा वध श्रीज्ञानराजगणिराजाना शिष्यमुख्य पंडित लब्धोदय गणि विरचित कटारिया गोत्रीय मंत्रीश्रीहंसराज मंत्री श्रीभागचंदानुरोधेन राणा श्री रतनसिंह पदमणी परणयनो नाम प्रथम खड ॥१॥