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________________ पद्मिनी चरित्र चौपई] [१६ दोहा राणी आयो रतनसी, लोक सहू आणंद । महिला पउधार तर, मेट्यौ सगलौ दंद ।। १ ।। जाइ मिलिया परभावती, म्हे पाली बोली वाच । अब थां सुं ऊरण हुया, पदमणी आणी साच ॥ २ ॥ ढाल (७) रागधन्यासी, १ जाइरे जीयरा निकसि के एहनी देसी, २ बात म काढो व्रत तणी ए देशी मोटा महेंल मनोहरू, पदमणी वासा जोगो रे। विचरै साथ सहेलीया, भोगवती सुख भोगो रे ।। मोटा महल भनोहरु |आकणी।। रतनसेन राणो गयो, पटराणी ने पास रे। परणे आया पदमणी, हिवै दीज्यो सवासो रे ॥२शमोगा वचन तुम्हारो मैं कियो, अमनें केहो दोसो रे। स्वाद करी जीमस्या हिवै, करस्या केहो' सोसो रे ॥३॥मो॥ वचन सुणी दीवाण ना, वीलखी हुई ते नारी रे । परभावती मन चिंतवै, हिवें कीज्य किसं विचारो रे ॥४||मो०|| मे मारे हाथें कियो, केहो कीजे सोसो रे। . दोस जिको मुझ वचन नो, कीजे किणसुरोसोरे॥शा मो १ कायापोसोरे - आत्मानों मुख दोषेन, बध्यन्ते शुक सारिका । बकास तत्र न बध्यते, मौनं सर्वार्थ साधनः
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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