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[पद्मिनी चरित्र चौपई तोरण बाध्या वार हो रा० पोलि आरीसा सूरीज जलहले जी। बाजे गहीर नीसाण हो रा० घरि-घरि ऊँची गूढी ऊछलेजी ॥१०॥ सोवन साखित सार हो रा० झूलमती चाले आगे हीसता जी। सीसें तेल सिंदुर हो रा० गयवर जाणे परवत दीसताजी ।।११।। सूहब करि सिगगार हो रा० पूरण कलस ले आवे कामनी जी। मलपति गावै गीत हो रा०
धन दिवस आयो अम्ह गढ़ धणी जी ॥१२।। सोवन चउक पुराय हो राजेसरजी,
__मोतीया वधावे राय राणी भणी जी। जीवो कोड़ि वरीस हो राजेसर जी,
गज गामनि असीस दीइ' घणी' जी ।।१३।। पाए लागे दोड़ि हो रा० कुमर सकल सेवक साथै करी जी। बात करै कुसलात हो रा० राजा प्रजा सगली राज रीजी ।।१४।। गज चढ़े ढलकती ढाल हो रा०पाउ पधास्या राजा गढ़ ऊपरेंजी। जग हूवो जसवास- हो राजेसर जी,
धन राजा राणी जगि उचरे जी ।। १५ ।।
छठी ढाल रसाल हो रा० सामहेलें घरि आयो राजियो जी। 'ज्ञानराज' गणि सीस हो राजेसर जी,
मुनि 'लालचंद' कहै हरख्यो हीयो जी ।। १६॥