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पद्मिनी चरित्र चौपई ]
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दोहा पान पदारथ सुघड नर, अण तोल्या विकाय । जिम-जिम पर भूयें संचरें, (तिम) तिम मोल मुहुंगा थाय ॥१॥ हंसा ने सरवर घणा, कुसुम घणा भमराह । सुगुणा' ने सज्जन घणा, देश विदेश गयाह ॥ २ ॥
पमिनी विवाह
ढाल तेहिज रगे हे सखि रंगे घालै वरमाल,
___घाले हे सखि घालै हे जयमुख उचर जी ।" सिंघल हे सखि सिंघल भूप सनेह,
रूड़ी हे सखि रूडी हे साहमणि करें जी ।२।" वहिनी हे सखि वहिनी हे पद्मणि विवाह,
कीधो हे सखि कीधो लीधो जस घणो जी। आधो हे सखि आधो हे देस भंडार,
दीधो हे सखि दीधो कओल सुहामणोजी ।।. दासी हे सखि दासी हे दोय हजार,
रूपे हे सखि रूपे हे रति रम्भा वणी जी।' हाथी हे सखि हाथी हे हेवर हेम,
परिघल हे सखि परिघल चैं पहिरावणी जी।४। राणी हे सखि राणी हे अति हे सरूप,
एहवी हे सखि एहवी नारि म को अछै जी।। १ सापुरिमा थानिक घणा