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[ पद्मिनी चरित्र चौपई
चंदवदन गजराज गति, पनग वेणि मृग नयण । कटि लचकनीकुच भार तई, रति अपछर हई अयन ॥७॥
ढाल २ योगिना रा गीतनी राग-मल्हार राणी अवर राजा तणें जी, रूप निधान अनेक । पिण मनडो परभावती जी, रंज्यो करीय विवेक । राजेसर ॥१॥ चतुराई चित दीध, राजेसर, मन मोती गुण वींध ॥रा० च०।। सतर भक्ष भोजन समें जी, नित-नित नवली' भाति । रा० व्यंजन रूड़ी विध करइजी, खाता उपजें खाति । रा० ॥२॥ चा रूपवंत नइ रागणी जी, गुणवंती गज गेलि राण मन राजा रो मोहीयो जी, सोक्या सहुइ ठेलि । रा०॥३॥चा भोजन तो परभावती जी, हाथ परुसइ हूँस ।रा वीजी राणी वारण जी, सहजें जावा सुंस ।रा०॥४॥ च० ॥ माहो माही मोहस्यु जी, रति सुख माणइ राय । स० । खिण एक विरह नवी खमइ जी, दीठा दोलति थायराशाच०॥ पालइ राम तणी परइ जी, न्यायइं राज नरेस । रा० आप भुजा अरीअण हण्या जी, सरद कीया सहुदेस ॥६॥च०॥
राजकुमार वर्णन जनम्यो पुत्र महाजसी जी, प्रतापी पुण्यवंत । रा० 'वीरभाण' वखते बड़ो जी, दिन दिन अधिक दीपंतापाच॥
१ नव नव