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________________ __ और वेहाल देखकर उन लोगों ने पूछा कि अपना कटक और ___ पद्मिनी आदि सब कहाँ रह गये ? सुलतान ने कहा-बादल ने हमारे से धोखा किया, पद्मिनी के भरोसे आई हूई पालकियों में से सुभट कूद पड़े और हमारे लश्कर को समाप्त कर डाला। मैं तो रहमान की कृपा से बड़ी मुश्किल से बच पाया हूँ। मैं वस्तुतः पद्मिनी के मोहजाल में भ्रान्त हो गया था, अन्यथा हिन्दू लोगों की मेरे सामने क्या बिसात थी। इसके वाद सुलतान अपने लश्कर के साथ दिल्ली चला गया। जब वेगमों ने सुलतान से पद्मिनी दिखाने की प्रार्थना की तो उसने कहा - पद्मिनी का मुंह काला किया, खुदा की दुआ से खरियत हुई। सुलतान की बेगमे खमा | खमा! करने लगी, माता ने कहा-स्त्री के कारण रावण जैसों का राज गया, अब तो खुदा का ध्यान करते हुए आनन्द से राज करो। सुलतान के भगने पर रणक्षेत्र शोधकर वादल चित्तौड दुर्ग में प्रविष्ट हुआ राणा ने उसे हाथी पर बैठाकर छत्र ढलाते हुए गढ़ में लाकर नाना प्रकार से सन्मानित किया। पद्मिनी ने आशीर्वाद की झड़ियाँ लगा दी। उसे तिलक करके मोतियों से वधाते हुए पद्मिनी ने उसे अपना भाई करके माना। क्या घरो मे और क्या वाजार मे सर्वत्र वादल के यशोगान किये जा रहे थे। माता ने वादल को चिरजीवी होने का आशीर्वाद दिया और स्त्रियों ने धवल मंगलपूर्वक हर्ष व्यक्त किया। काकी ने पूछा तुम्हारे काका ने किस प्रकार शत्रुओं से लोहा
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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