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________________ ( ३३ ) और अमृत थे इनमे से समरथ के ३ पुत्र महासिंह, मनोहर दास व हरिसिंह थे। दशरथ के पुत्र आसकरण और सुजाण सिंह थे। अमृत के पुत्र गोकुलदास व इन्द्रभाण थे। इस प्रकार मन्त्री मुकुट भागचन्द का परिवार काफी बड़ा था। ७ पाट के बाद मेवाड में खरतर गच्छ की पुनः प्रतिष्ठा करने का श्रेय कवि ने उसे दिया है। इस रचना के समय मन्त्री भागचन्द काफी वृद्ध हो चुके थे, फिर भी उनकी धर्म भावना और शास्त्र श्रवण प्रेम ज्यों का त्यों बना हुआ था। इस चौपाई की एक मात्र प्रति 'हितसत्क ज्ञानमन्दिर' घाणेराव से अभी अभी हमें प्राप्त हुई है। काव्य बडा सुन्दर और रोचक है।। ___ कवि की छट्ठी चौपाई सबसे बड़ी कृति है-मलयसुन्दरी चौपाई। यह भी शील-धर्म के माहात्म्य पर १४२ पत्रों में रची गई है। प्रस्तुत मलयसुन्दरी चौ० सं० २७४३ श्रावण वदी १३ के दिन प्रारम्भ कर गोघदा (मेवाड) मे धनतेरस के दिन पूर्ण की । केवल ३ मास मे इतने इतने बड़े काव्य का निर्माण वास्तव में कवि की असाधारण प्रतिभा का द्योतक है। इसकी रचना कवि के उल्लेखानुसार उनके गुरु महो० बानराज द्वारा स्वप्न* मे दी हुई प्रेरणा के अनुसार की थी। मलयसुन्दरी कथा जैन साहित्य मे काफी प्रसिद्ध है। * “महोपाध्याय ज्ञानराज गुरु, कयो सुपन में आय । पांच चौपाई थे करी, ए छही करो बणाय ।।"
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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