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________________ ( २२ ) चाहिए क्योंकि वह रचना मेवाड मे और विशेष कर नररत्न भामाशाह के भाई कावेडिया ताराचन्द के आग्रह से गुंफित हुई थी । अतः इसका पर्याप्त प्रचार हो गया था । हेमरत्न के पश्चात् जटमल नाहर की गोरा बादल चौपई निर्मित हुई, यह कृति अपेक्षाकृत छोटी है और इसमे कुल १५३ छन्द है । इस सुन्दर हिन्दी रचना का निर्माता कवि जटमल नाहर पंजाव का निवासी था अतः हेमरत्न व लब्धोदय आदि इतर कवियों की भांति राणा वंश से अभिन्न न होने के कारण रतनसेन को जायसी की भाति चौहान वंश का लिखा है जब कि वे गुहिलोत वंश के थे । जटमल ने राघव चेतन को सिंहलद्वीप से पद्मिनी के साथ आया हुआ लिखा है जब कि अन्य कवि उसे चित्तौड निवासी मानते है । जटमल एक कथा और भी लिखता है कि राणा ने मोहवश पद्मिनी का मुंह देखे विना अन्नजल न ग्रहण करने को नियम ले रखा था । एक दिन वह दो घडी रात रहते राघव चेतन को साथ लेकर शिकार को चल पड़ा । उसके अत्यन्त तृषातुर होने पर नियम पालनार्थ राघव ने त्रिपुरा की कृपा से पद्मिनी की तादृशमूर्ति बनाई जिसके जंघा पर तिलका चिन्ह कर दिया। राना ने राघव के चरित्र पर संदेह लाकर घर आते ही रुष्ट होकर उसे निर्वासित कर दिया । वह योगी का भेष धारणकर वाद्य-यंत्र बजाते हुए दिल्ली पहुँचा और वनखण्डमे निवास करने लगा । एक दिन सुलतान अलाउद्दीन शिकार खेलने के लिए वन में आया तो 1
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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