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________________ ( २१ ) राघव को परदेशी विप्र बतलाया है जिसके पाण्डित्य से प्रभावित होकर राणा ने अपने पास रखा। एक दिन खेल मे राघव के पराजित होने पर राजा ने उससे द्रव्य मागा तो वह कुपित हो गया। राजा द्वारा निर्वासित हो वह चितौड से निकला और उसने राणा के पंगें मे वेडियाँ डलवाने की प्रतिज्ञा की। राघव ने मत्रसिद्धि द्वारा योगिनी को आराधन किया और वर प्राप्त कर दिल्ली चला गया। उसने सुलतान अलाउद्दीन को निशिचर्या मे दरवेश के भेप में आने पर दिल्ली का सुलतान होने का आशीर्वाद दिया और प्रतीति प्राप्त कर शाही दरवार मे प्रविष्ट होकर राजमान्य हो गया । छन्द पद्याङ्क ५० मे लिखा है कि गोरा ५ वर्ष से राणा के ग्राम-ग्रास को अस्वीकार कर अपने घर बैठा है। प्राचीनता की दृष्टि से हेमरत्न की कृति का स्थान गोरा बादल कवित्त के वाद आता है । इसके छन्द भी परवर्ती कवियों ने उद्धृत किये हैं। पद्याङ्क १७०-७१-७२-७३ को लब्धोदय ने पृ० ३१-३२ में उद्धृत किये है तथा खुमाणरासो मे दलपतविजय ने पद्याङ्क ७०-७१-७२-७३ मे उद्धृत किये है । पद्याङ्क २८८ को खुमाणरासो (पद्याङ्क २४६३) मे उद्धृत किया है। जटमलनाहर ने इसके पद्याङ्क ५६७ छन्द को पद्याङ्क ११० मे उद्धृत किया है। लब्धोदय ने अपनी चौपाई के प्रारम्भ मे "पूरव कथा संपेख" शब्दों द्वारा जिस पूर्व रचना का उल्लेख किया है वह कृति जटमल की न होकर हेमरत्न की ही होनी
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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