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[गोरा बादल चौपई वादल ताँम हँसि वोलियो, कृपा करो साँमी, सही। बालक रूप-पदमावती, राव नारि तेरी नहीं ॥ ११७ ॥
दूहा ले आए संग राव को, मन विच हरख अपार । डोले भीतर पैसताँ, आगे बीच लोहार ।। ११८ ॥ वेडी काटी तुरत तिन, राय कियौ असवार। तवल बाज तिनही समै, निकढे सुभट अपार ।। ११६ ।।
सोरटा रण वाजै रणतूर मारू गावै मंगता। उमग तिहाँ चित सूर, कायर के चित खलभले ॥ १२०॥ ढमके जंगी ढोल, सुरणाई वाजै सरस । घुरै दमामां घोर, सिंधूड़ा ढाढी च ॥ १२१ ॥ साह-कटक पड्यो सोर, ओरू की ओरू भई। रही पदमनी ठोर, रण आये रजपूत रट ॥ १२२ ॥ तीन सहस रजपूत. खाय अमल, चूँ मै खड़े। पड़े क्रपन के पूत, रॉम रॉम मुख ते रटै।। १२३ ॥ जुड़ आये रजपूत, भूत भये कारण भिडण। परिहरि जोर-पूत, खत्री आये खेत पर ॥ १२४ ।। हबक ग्रहे हथियार, हलके हाथी साज के। अंबाड़ी-असवार, पातसाह आयो प्रगट ॥ १२५ ।। गोरा-बादल वीर, सिर फलाँ को सेहरो। केसर छिटके चीर, सूर्य-भीना सापुरल ।। १२६ ।।