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गोरा बादल चौपई]
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दूहा त्रीया, तुझकों क्या दिऊँ, सती हुवै मुझ साथ । जूड़ो दीनो काटकै, नारी-केरै हाथ ॥१०६ ॥
ताके ऊपर अरगजा, भमर भमै चिहुं फेर ॥ ११० ॥ सुखपालां सझ पांचस, सोभा घणी करेह । गढ़ ते डोले उतरे, साह न पायो भेद ॥ १११ ॥ गोरा बादल दोइ जण, आप भए असवार। आय मिले पतिसाह सू, किए सिलाँम तिवार ।। ११२ ।। ले आए संग पदमनी, दोड़न लागे मीर। लाज जु लागै हम तुमै, बहुत भया दिलगीर ॥ ११३ ॥ साह ढंढोरो फेरियो, मत कोई देखो ऊठ । गरदन मारू तास कौं, लूँ सब डेरा लूट ॥ ११४ ॥ भी भिर आये साह पै, एक करै अरदास । रतनसेन । हुकम हुइ, जाइ पदमन के पास ॥ ११५॥ मिल विछुरे संग पदमनी, तुमको दीजै आँन । हुकम कियो पतसाहातब, यह विधि मन में जॉन ॥ ११६ ॥
कवित्त बादल तिहा आवियो, राय तिहाँ बाँधण बॉध्यो, लेइ मस्तक आपणौ, चरण ऊपर तस दीधो । हुऔ कोप राजाँन, वैर कीधो तै, वेरी, काधो मूंडो कॉम, नारि आणावी मेरी।