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________________ गोरा बादल चौपई] [२०५ --- - - छंद वीरारस जुडाये जंग, उलसे अग। गोरा वादल, ताने तग ।। १२७ ।। __ छंद जात रसावलू ___ कर खंग लिय करि करि, विहंड भुजदंड दिखावै, पाडलिये पाखरी उलट, अपने दल आवै। निज साँम-काज भूपत लड़े, काट-काट लावै कमल, गोरा लगावत जिहाँ खड़ग, तिहाँ पाड़ कर दोइ धड़ ॥ १२८ ।। छंद पद्धरी ( मोतियदाम ) लडे जव गोरल बाँवन वीर, कमाणक चोट चलावत तीर । न चूकत रावत एकण चोट, ल., गज लोट सपोटालोट ।।१२६।। ग्रहै बरछी जब गोरल राय, सु नागन ज्यूँ नर ऊडत खाय। फोड़त पाखर साथ पलाँण, सुजातन का सिर सुंदर माँण १३० तजै बरछी, पकड़ें तरवार, घणी खुरसाण सो बीजलसार। चलावत मीर उतारत सीस, उडावत एक चलावत वीस ॥१३॥ तनं तरवार गुरज भिड़ाय, दुरज्जन चोट दडब्बड़ ल्याय । करें चकचर गयंद-कपाल, सकै उमराव न आप संभाल ।।१३२।। कई मुख मीर ज आयो काल, डरै नर, दे हथियार संभाल। ग्रहे चिन्ह दंत बड़े-बड़े मीर, न मारहु गोरल राव सधीर ।।१३३।। चल्यो एक मीर ज चोट चलाय, पड्यो धर ऊपर गोरल राय । पुकार पुकारत गोरल नॉम, कर जब वादल ऐसो कॉम ॥१३४॥
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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