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________________ गोरा बादल चौपई ] [१८३ राय देय सनमान, पास अपने बैठाये, कहो दीप की बात, जहाँ ते तुम चल आये। क्या-क्या उपजत उहा, दीप सिंघल है कंसा, कहै भाट सुनो राय, कहूँ देख्या है जैसा। उदध-पार अदभुत नगर, सोभा कहि न सकू घणी, ऐरापति उपजत उहाँ, अवर नार है पदमणी ॥ ६ ॥ पदमावति नारी कसी, कहो। भाटजी, वात, भाट कहै, नरपति सुणो, च्यार रमण की जात ।। ७ ।। इक चित्रनि, इक हस्तनी, एक सखनी नार,' उत्तम त्रीया पदमनी, तस गुण अपरंपार ।। ८ ।। चौपई कहो भाट, पदमावति-लख्खन, गुणी सरस तुम बड़े विचल्खन, रंग-रूप-गुण-गति-मति दाखो,भाखा सकल मधुर-सुर भाखोहि। कवित्त पदमावति मुखचंद, पदम-सुर वास ज आवे, भमर भमत चिहुँ फेर, देख सुर असुर लुभावे । अंगुल इकसत आठ, ऊँच सा सुन्दर नारी, पहुली सत्तावीस, ईस चित लाय सँवारी। म्रगण, वैण कोकिल सरस, केहरि-लंकी कामनी, अधर लाल, हीरा दसन, मुँह धनुप, गय गामनी ॥ १० ॥
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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