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________________ जटमल नाहर कृत गोरा बादल चउपई सोरठा चरण कमल चितलाय, के समरूँ श्री शारदा, मुझ अख्खर दे माय, कहिस कथा चित लायकै ॥ १ ॥ जंबूदीप-मकार, भरतखड खंडा-सिरै ; नगर भलो इक सार, गढचितौड़ है विखम अत ॥ २ ॥ रतनसेन जिहां राय, पाय कमल सेवै सुभट, सूरवीर सुखदाय, राजपूत रजकौ धणी ॥ ३ ॥ चतुर पुरस चहुवॉन, दान माँन दूनूँ दियै, मंगत र्जिन को माँन, आवै मंगत दूर तै ॥ ४ ॥ कवित्त एक दिवस नृप-पास आस करि मंगत आए, च्यार चतुर वेताल, दृष्टि भूपति दिखलाए । दे आसिका - असीस, वीस दस विरद सुनाए, नरपति पूछत भट्ट, कौन सा तै आए । हम आए सिंघलदीप तै, कीरति सुनिकर तुम-तणी, राजा रतनसेन चहुवण है, गढ चितोड़ केरो धणी ॥ ५ ॥
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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