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रत्नसेन-पद्मिनी गोरा वादल संवन्ध खुमाण रासो ] [ १८१ मुख मुछ तुम कुल लज्ज तुही, सारी वेल किया भडा । चीतोड मोड बांध्यो सिरें, दल्लीपति छाडें तडां ।।२।। रांम तणे भिड़या जिम हणुमान, तेम वादल रतनसी राण । पदमणि सत सीता सारिखी, वादल भिड लंघाया रखी ॥५३।। सेवा कीधी अपछर तणी, तिण सोभा वाधी घण घणी। करी दिखावें इसीक कोय, अवरा सुहडा आदर होय ॥५४|| गोरा वादल नी ए कथा, कही सुणी परंपर यथा । सांभलता मन वंछित फलें, राज रिद्ध ल [छ] मी बहु मिलें ॥५॥ सामधरम सापुरसा होय, सील दृढ कुलवंती जोय । हींदू ध्रम सत परिमाण, वाज्या सुज [स] तणा नीसाण ॥५६।।
इति श्री चित्रकोटाधिपति बापा सुमांणान्वये राणा रतनसेन पदमणी गोरा वादल संबंध किंचित् पूर्वोक्त किंचित ग्रंथाधिकारेण पं० दोलतविजयरा विरचितोऽयं अधिकार संपूर्णम्
इति श्री पप्ठ खंड सम्पूर्णम्