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________________ rrammar रत्नसेन-पद्मिनी गोरा बादल संबन्ध खुमाण रासो ] [ १७६ किम करि वाहया हत्त्थ, ब [त् थ भरि सुहड पिछाड़या । भागा हय गय थट्ट, जाए नेजें असि चादया। गिलिया खांन निबाव, सीस असपति झोरिल। कहें वादल सुण मात, रिण ही इम जुझ्या गोरिल ||३८॥ चौपाई इम सुणि ने कामनी तेह, विकसित वदन हुई ससनेह । रोम रोम सूरिम ऊछली, मुलकी महिला बोलें वली ॥३६॥ सावल वेटा हिवें वादला, ठाकुर दोहिला हुवे एकला। पछे पडें छे छेटी घणी, रीस करेसी मारो धणी ॥४०॥ वहिली होय म लावो वोर, भेला होय काकी भरतार । एम सुणी वादल हरखियो, धन धन मात तुमारो हियो ॥ ४१ ॥ दान पुन्य तव बहुला करी, करि शृंगार चढ़ी भल तुरी। श्रीफल लेई हाथें धरी, जै जै राम कही नीसरी॥ ४२ ॥ ढोल घुरो गूजें चीतोड, वाध्यो सुजस तणो सिर मोड । इण पर आखा उछालती, आवी खतें रिण मलपती ॥४३॥ पूजी गवरी करी सनांन, पहिरी धवल वस्त्र परिधान । खमा खमा कहें धन भरतार, रिण समंद हिलोलण हार ॥४४॥ खट मंदिर पिय खोलें धरी, अगनिसरण कीधो सुदरी। पति पासें नई पोहती विसें, अरध सिखासण दीधो तिसें ॥४॥ अमरापुर वसीया उछाह, जय जयकार हुओ जग माह । चंद सूरज वे कीधा साख, गढ़ चीतोड दल्ली दल साख ॥४६॥
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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