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________________ रत्नसेन - पद्मिनी गोरा बादल संबंध खुमाण रासो AAVAAA हाका करि किलकी हसें, इसे रिमा जिम नाग । तिण वेला त्रिजडा हथो, करें पकंदा घाव ॥२८००|| आडा खल भाजें अनड, फुरलंतो गज भार | आयो असपति उपरें, मुख कहतो हुँसियार || २८०१ || तोले खग तारा लगे, गोरे कीधो घाव | असपति जीव ऊवेलंता, पाछा दीधा पाव ॥२८०२|| कहें बादल गोरा सुणो, सकजां एक सुभाव । आयो आम गिया पछें, कुण राणों कुण राव || २८०३ || तोनें रिण वाही तणी, वदसी जगत विसेख । दल्लीसर परमेसरो, त्या सुरू केहो तेख ||२८०४|| वण वट नेंजा घाव करि, लडें भडें लें बाह । ' गोरो रणवट पोढ़ियो, वाही वाह ए लोह ||२८०५ || खमा खमा कहि अपछरा, डर उडे सीर हाथ । गिले डए भग ग्री व्यू, जाव वहें दिन नाथ ॥२८०६ ॥ आवें वादल ऊपरें, करें हथेली छाह । दल पतिसाही डोलियां, भागी तुज भूजाह ||२८०७|| अइयो सुरात तणा, अजे अथमाण अथाग । भुज वे वे स्था भला, इक मुछा इक खाग ॥८॥ मुख देखे काका तणो, वांढे मुछा वाल । बादल आयो साह सुं चोरंग बंधे चाल ॥६॥ , हलकारें भिड आपणा, वाकारें रिम थाट | पडिया कोर्से बीस पर, झाडतो खग झाट ॥१०॥ [ १७५
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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