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रत्नसेन-पद्मिनी गोरा बादल संवन्ध खुमाण रासो] [१६७
हुकम कियो असपति हुंसियार, कच कराव्यो लसकर लार । सहस वे च्यार रहो हम पास, हींदू कुं होवें वैमास ॥२६॥ लसकरिया जत्र लाधो दूदुओ, हरख घणो मन माहे हुओ। लसकर कूच कियो ततकाल, चाल्या सुभट विकट विकराल ॥२७॥ मीर मुगल को [इ] खांन निवाब, मुगल पठाण घणी जस आभ । पदमणी सनम करें जे भणी, आगे चलाए दल्ली भणी ॥२८॥ विया बिया जे जो रण कष्टा, एकेला भाजे गज घटा । डाईल साह नाणं विस्वाम, तिण कारण राखण भिड पास २६ सूरा सूरा सहस बेच्यार, असपति पास रहया असवार । आलिम वोले बादल सुणो, कहियो कीधो हे तुम तणों ॥३०॥ वेग मंगाबो अव पदमणी, पालो वाचा आपापणी । लाख महोर तव रोकड दिया, पहिरावणी वागा समपिया ३१ ते लेई वादल आवियो, हरख्यो माय तणो तव हियो। तब सुड्डा सुं कही संकेत, हवे जगदीस दियो "जैत ॥३२।। तुमै सकेत रूडो राखज्यो, पालखी तुमे लेई आवज्यो । मत किण वात हुओ आखता, रखे लगावो काई खता ॥३३॥ इम कहीने आगो संचरो, पालखिया पूठे परवस्यो । राघव व्यास जे वुद्धिनिधान, स्वामिद्रोह थी नाठी सान ॥३४॥ छलबल एन लिखाणी काइ, लंण हराम तणो परभाइ। असपति दीठो आवत वली, वादल वात करो निरमली ॥३॥ माहिव साभल मुझ वीनती, पदमणि एम कहें गुणवती। आवंछं हजरत तुम गेह, आलिम धरज्यो अधिक सनेह ॥३६॥