SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 231
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रत्नसेन-पद्मिनी गोरा वादल संवन्ध खुमाण रासो] [ १५३ ~ ~ खग भाजा खुरसांग, माण ररुखहुँ हिंदवांगह । घुर जेत नामाण, कर दुनीयाण वखाणह । संनाह स्याम सरण सुहड, एह विरुद तुझ भुज लहें । कर घालयां समुछा सुहड, तुझ अंक मार्थे वहे ।।२६०१॥ दहा ब्रद धर वादल बोलियो, मरद जोस मयमत । गहक केहरी गाजियो, दूठ महा दुरदंत ।।२६८२ ।। काका सुण वादल कहें, केहो कायर काम । रहा व त सारा सुहड, एह अमीणो नाम ।।२६०३।। काका थे [का चिंता म करो, अंग धरिहो उलास । तो हु वादल ताहरां, भत्रीजो स्यावास ॥२६८४|| आलम भाजु एकलो, पाउं पिसुण खग रेस । कुलवट उजवालुकिलों, आणु रतन नरेश ॥२६०५।। चीडो झाल्या वादलें, वोले इम वलवंत । तुसत सीता दूमरो, हूँ दूजो हनुमंत ।।२६०६।। सती तुहारी सामिनो, मिलु महोदल माण । घडि माहें प्राण घरें, रतनसेन राजान ॥णा घरे पधारो पदमणि, मकरो आरत माय । चादल बोल्या बालड़ा, ते नवि झूठा थाय ||८|| प [च] छिम सूर न उगमे, मेर न क वाय । सापुरसा रा वालडा, फिरे न झूठा थाय ||६||
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy