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रत्नसेन पसिनी गोरा बादल संबन्ध
खुमाणा रासो
षष्ठ खण्ड
॥ श्री माऊ अवाय नमः ॥
गाहा ओंकार मंत्र अंबा, जगजननी जगदंवा । लच्छ समप्पो लबा, दलपति तुह चरण अवलंवा ।।२।।
दूहा कमला मात करो मया, मुझ उर वसिइं वास । आपो दोलत ईश्वरी, वाणी वयण विलास ।।२६।।
कवित्त रांणां री वंशावलिका राण प्रथम (ह) राहप, पाट नर सुर नरपत्ति । दिनकर हर सुरदेव, रतन जसवंत नृपत्ति ।। अनतो अभयो रांण, प्रवल पथवीमल पूरण । नाग प्राणग नेंसिंघ, जेंत जगतेश उधारण ।। जयदेव राण जो नंगसी, भारथ पारथ भीमसी। गढ़पति मुगट गढ गंजणो, गाहड़मल गढ़ लखमसी ॥२७॥