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________________ गोरा बादल कवित्त ] [ १२५ पूरि आस पदमिणी, मोहि निरासी किन्जइ, आप हाणि घरि होइ, अवर कारणि जीउ दिज्जइ । इंम क्हइ नारि कंता निसुणि, सेन सहुय एकत हुअ, गोरल्ल पुठि समहर चडइ, रहु न कुअर गाजन्न सुय ॥६७|| अथग पवन जु रहइ, वहइ गगा पच्छिम मुह, मेर टलइ मरजाद, जाइ नवखण्ड रसातल हु। सेस भारजु तजइ, चलइ रवि चन्द दखिण धर, सुर असुर सहू टलइ, संक नह धरइ अप्पसर । एतला बोल जउ सहू हुइ, हूँ वयण सच्चउ करउ, बादल्ल गयद इंम उचरइ, तुहि न नारि पाछउ सरउ ॥६८॥ गोरउ अर बादल्ल, आय दोय सभा बयठा, जे गढ माही रावत, तेह सहू मिल्या एकठा । करउ मत्र विचार, बुधि छल भेद करीजइ, देणी कहु पदमिनी, जेम सुरताण पतीजइ। डोली कीजइ पंचसई, सुहड सवे सन्नाहीइ, एकेक डोली आठ आठ जण, इम परिपंच रचाईइ ।।६।। रची एम परिपच, वेगि तव दूत चलायो, खवरि करउ सुरताण, हुं तु पदामिणी पठायो। जे दासी अगरक्ख, हरम सवि डोलइ घल्लङ, हीर चीर सोवन्न, लेई तुम्ह साथे चल्ल। इंम कहइ नारि पदमावती, पातिसाह अरदास सुणि, जिस घड़ीय राय छुट्टइ सही, हुँ न रहुँ ईहां एक खिणि ॥७॥
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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