________________
गोरा वादल कवित्त]
[१२१
पदामिणी नारि इंम उचरइ, तुम्ह लगइ कीजंति वल, कर ऊभु करइ ज सामि कज, करउ कित्त जिम हुइ कलि ॥५१॥ तुही रावत्त गोरल्ल, तुहीज दल माही वडज, तु ही रावत्त गोरल्ल, तुहीज मोरउ भाईडउ । तुही रावत्त गोरल्ल, तु हीज दल बडउ छजइ, तुही रावत्त गोरल्ल, तु ही देखवि राय गजइ । सुणि गोरल्ल पदमिणि कहह, मोहि दासी करि सुरताण दड, कइ अल्लावदीन सु स्वगधरि, कैराउ रत्नसेन छोडावि लइ ।।२।। सुहुड सुभट गोरल्ल, तांम गहगाउ सुचित्तह, दल भंज सुरताण, नाम तु थु रावत्तह । सांमि कजि अणसरडे, नारि पदमिणी उवेलउ, गढ राखउ भुज प्राणि, मारि असुरा दल पिल्ह। कहइ गोरल्ल सुणि सामिनी, जाउ तुम्हे गाजन्न घरि, अवतार पुरूप विधना रच्यो, सु वीडर चु वादल करि ।।३।। न्लीन्ह पान वादल्ल, रयण हूँ ते गढ भींतरि।। सत्ति तुम्हारइ साहस्स, साह भजउ खिंण अंतरि। . दोइ कुल भेट लाज, तु नाम बादल्ल कहा। गोरी दल विन्नड़, कूटि करि बाधव ल्याउं । जिम राम कज हनुमत करि, महिरावण बव्यउ तिखिणि । काटउ ज वध राउ रत्न के, तु साहस भजउ साह' हणि ।।५४|| चाड कूड विन्नयउ, मंत्री कउ मंत्र भुलाणउ, रतनसेन वधेवि लीय, गढह चिहुं दिसि अहिराणउ ।