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________________ पद्मिनी चरित्र चौपई ] ___ [१०१ भूखा त्रिसीया एकला रा० दीसे ए कूण हवाल रे दी। किहा पदमणी परणी तिका रेरा० ए तो दीसै छै ख्याल रे दी०३। कहै पतिसाह कीधो घणो रा० बादल हम सुकूड रे दी। सइतानी सबली करी रा० ल्हसकर मेल्यो धूलि रे दी० ॥४॥ल्ह०।। पटमणी रे मिसि पालखी रा० कीधी पाच हजार रे दी० तिण मे दोय दोय नीकल्या रा० योध करंता मार रे दी० ॥५॥ कहर जूम हम सु कीयो रा० कटक कीयो कचघाण रे दी० हम है या तो ऊवरे रा० मया करी रहमान रे दी० ॥६ाल्ह॥ हम भी भूले मोह ते रा० कछु कीनो पदमणी टौंन रे दी० तोही हम आगइ टिके रेस० नहिंतर हिन्दू कौन रे दी० |७|| इम कही असवारी करी रा० नाक मुकीनइ साहि रे दी० ज्यू आयो तिणही परई रा० पहुंतो दीली माहि रे दी० ॥८॥ आलिम महल पधारिया रा० आई हरम अनेक रे दी० विनो करी पाए पड़ी रा० विनती करै सुविवेक रे दी. हाल्ह।। देखावो वे पदमणी स० हम कु देखण हुस रे दी। कैसी चतुराई अछै रा० रूप जोवा कैसी रूस रे दी० ॥१०॥ल्ह।। पदमणी का मुंह काला किया रा० हम खैर करी है खुटाय रे दी० करीई खमा वीवी कहै रा० हम लागो तुम वलाय रे दी० ॥११॥ दूहा कहि" ममा वेठो तुमा, धरो मन मई ग्यान । धरा पालो अविहड थे, हीइं खुदाय धरि ध्यान ।।२।। १ दोइ २ कतलान ३ गरव मइ ४ जु ५ कहि मामा बेटा तुर्मा राखठ बहुत गुमान । नारि काज कलमथ करउ धरउ न मन मइ ग्यान ।
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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