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[पद्मिनी चरित्र चौपई कहै साहि सुण सामंत बादल कीयो तें उपगार जीवीदान दीधो सुजस लीधो झालि गढ़ रो भार ||२८|गो०॥ वादल आगे हारि खाधी सीख मागइ साहि । एकलो आयो आप असुरां दला बूजत साहि ।।२६||गो बीजली' मुहें खल खेत्र वेड़े जैत्र पामी जंग। पूरो पवाडो किलें गोरिल सूर वादल संग ॥३०॥गोगा अन्याय मारग जैति न हुवे, जोइ सवलो होई। एकले डीले गयो आलम, एह परतख जोई ॥३||गोवा नीति मारग जइति पामइ, रहइ राज अखंड। कह लालचन्द जगत्ति ऊपर, नाम तेज प्रचंड ॥३॥गो।
दूहा दोय दिना के अंतरै, आलिम एक खवास । निमा साम वेला जई पहूंता ल्हसकर पास ||१|| ढाल-(२२) वाल्हेसर मुझ वीनती गोडीचा । राग-मारू ल्हसकर माहि मुकीयो राजेसर
करिवा खवरि खवास रे राजेसर ऊमराव आया वही दील्लीसर
मुगल पाठण उल्लास रे राजेसर ||१|हमा करी तसलीम ऊभा रहया राजेसर वेकर जोड़ी ताम रे दि०। चूम आलिम साहि सुरा० कटक गयो किण काम रे दी० ॥२॥
१ विजड़ी २ थई।