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________________ १००] [पद्मिनी चरित्र चौपई कहै साहि सुण सामंत बादल कीयो तें उपगार जीवीदान दीधो सुजस लीधो झालि गढ़ रो भार ||२८|गो०॥ वादल आगे हारि खाधी सीख मागइ साहि । एकलो आयो आप असुरां दला बूजत साहि ।।२६||गो बीजली' मुहें खल खेत्र वेड़े जैत्र पामी जंग। पूरो पवाडो किलें गोरिल सूर वादल संग ॥३०॥गोगा अन्याय मारग जैति न हुवे, जोइ सवलो होई। एकले डीले गयो आलम, एह परतख जोई ॥३||गोवा नीति मारग जइति पामइ, रहइ राज अखंड। कह लालचन्द जगत्ति ऊपर, नाम तेज प्रचंड ॥३॥गो। दूहा दोय दिना के अंतरै, आलिम एक खवास । निमा साम वेला जई पहूंता ल्हसकर पास ||१|| ढाल-(२२) वाल्हेसर मुझ वीनती गोडीचा । राग-मारू ल्हसकर माहि मुकीयो राजेसर करिवा खवरि खवास रे राजेसर ऊमराव आया वही दील्लीसर मुगल पाठण उल्लास रे राजेसर ||१|हमा करी तसलीम ऊभा रहया राजेसर वेकर जोड़ी ताम रे दि०। चूम आलिम साहि सुरा० कटक गयो किण काम रे दी० ॥२॥ १ विजड़ी २ थई।
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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