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पद्मिनी चरित्र चौपई]
[६ साभलें चीला वाप दादा सूरमा न समाय । जूझता सुभटा बैंच निज रथ अर्क देखें आय ॥१८॥गो०॥ तिण' अओसर गोरिल वीर धसीयो जिहा आलिम साहि। वाही वारू घाव घाल खड़ग सेवलो ताहि ।।१हागोगा। भागोज मँडो लेय पाघड़ साहि मुहूडै मूकः । गोरिल वोलै फिट्ट तुझ ने जाति थारी मे थूक ॥२०॥गोगा भाजता नइ घाव घाल्यउ जाय अत्री धर्म वीनवइ वादल छोड़ि काका जाण यो वेशर्म ॥२२॥ उपरि ऊभा किलो देख रावल भाण रतन सहु मिली भाखइ धन वादल गोरिल धन ||२२||गोगा धन सामीधर्मी वीर वादल कहै पदमणि एम । जिण विना माहरो पुरुष इण भव छूटतो कहो केम ।।२३।।गो०| तु जीवव्ये कोडाकोडि वरसा माहरी आसीस। दिन दिन ताहरो चढत दावो करो श्री जगदीस २४||गो०॥ खल हण्यो खत्रीवट लीक राखी, जगत साखी नाम । गोरिल रावत रिणे रहीयो, कीयो साचो नाम ||२५||गोगा लूटीयो ल्हसकर आप वसि कर छोडियो आलिम । जीत्यो पवाडो धर्म आडो आवीयो कृत कर्म ॥२॥गोगा केई न्हासी छूटा मरी खूटा कीया अरीअण जेर । जीवतो मूक्यो साहि आलिम वालि सवल घेर ।।२७ागोगा
१ इण २ वाथ ३ सुक्क ४ मांहि चक्क ५ दुक्ख : साको ताम ।