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________________ पद्मिनी चरित्र चौपई ] [६३ ढाल-(१६) सदा रे सुरंगा थे फिरी आज विरगा काय ए देशो साची कही ए पदमणी, जहमे एहवो सुविचार रे लाल । आलिम वले वले इम कहै, धन भगतिवती भरतार रे लाल ॥ बुद्धि करी रे वादलैं, भलो सामी ध्रम प्रतिपाल रे लाल ॥वु० ॥. तुरके तुरत हुकम कीयो, जावो बादल आज रे लाल । रावलजी छोडाय ने, हम मेलो पदमणी राज रे लाल ॥२॥०॥ हुकम लेई ने आवीयो, जिहाछै रतनसेन महराण रे लाल । करी तसलीम ऊभो रह्यो', राय कोप चढ्यो असमान रे लाल ३ फिट रे वैरी वादला काई, सामीद्रोही कीध रे लाल। खत्रीधर्म खोयो तुमे, मो साटै पदमणी दीध रे लाल ॥४॥वु०॥ निरमल कुल मइलो कीयो, मूडी खरीय लगाई खोडि रे लाल । ते निसत्त हुया डर मरणरइ, मुझ लाजगमाई छोडि रे लाल ॥५॥ वलतो वादल वीन₹, ए अवर अछै आलोच रे लाल । भलो होसी तुम भागस्यु, स्यु आणो मन मे सोच रे लाल ॥६॥ भूप चाल्यो मन सममि नई, तव आलिम भाखं एम रे लाल । राय आणो पदमणि मेलि ने, जिम सीख समहेव रे लाल ॥७॥ पदमणी दिशि राय चालीयो, बैठो पालखीया माहि रे लाल । तव वात सहु साची लखी, वादल री बुद्धि सराहि रे लाल ॥८॥ वेला नहीं वातां तणी राय हुउ हुसियार रे लाल । पालखीया री सेन मे, होय पहुंतो गढ रै पार रे लाल ॥॥०॥ १ जिस्यै।
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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