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________________ पद्मिनी चरित्र चौपई ] [६१ ले आवयो पालखी रे लाल, लारो लार लगार रे सरागी । खत्रीवट राखेजो खरी रे लाल, कमियन करजो काय रे ।।३।।बुला इम कहि आघो चल्यो रे लाल, ले लारें सुखपालरे सरागी। आलिम देख्यो आवतो रे लाल, बूलायो दरहाल रे स०४||बु०॥ बुद्धिवंत तो अधिको हुँतो रे लाल, राघव चेतन व्यास रेसरागी सामीद्रोह पणाथकी रे लाल, छल न लखाणो तास रे ॥शाबु०॥ कहे वादल आलिम भणी रेलाल, पदमणी वीनती एह रे सरागी। अव हुँ आई तुम घरे रे लाल, निवहड करेज्यो मेह रे ॥६ ॥ साची माया मन सुद्ध सुरे, मान महत सोभाग रे स० मज एहिज मागु छछु रे लाल राखेज्यो मन राग रेस०॥णावु।। घरे महल तुम्ह कइ घणा रे लाल, खेल करउ मनखास रे स० - पिण पटराणी मुझ भणी रे लाल, करजो एहअरदास रे स०८०० आलिम कहे तुम ऊपरे रे लाल, नाखु तन मन उवारि रेसरागी जीव थकी पिण वालही रे लाल, भावे तु मारि उगारि रे।।।।बु॥. नारि एक करइ नहीं रे लाल, तुझ नख एक समान रे स० तुम सेवक हरमा सवइ रे लाल, मइ बंदा सुलतान रे स० ॥१०॥ तुम कारण' हठ मै कीयो रे लाल, लोपी वचन ग्रह्यो राय रे सरागी राणी ले आवों वादलो रे लाल, ढील न कीज्यो काय रे ।।११।। एम कही पहरावियउ रे लाल, ले आयो वकसीस रे स० । प्रमुदित मन परिजन हुओरे, साहस वसि जगदीश रे।सणा१२॥ १ काजे।
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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