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पद्मिनी चरित्र चौपई ] कौल करु छु दक्षिण हाथ देई करी।
हुँ जाऊ छु चास भास देखण करी ॥२३॥ मेवाडी सुभटों की सभा में
बादल ले आदेश गौरा रावत तणो।
सुभट मिल्या तिहा जाय साहस मन मे घणो ॥२४॥ देखि सभा सगली मनमइं विस्मय थई।
आवइ नहिं दरवार कदे क्यों आवई ।।२।। सुणिज्यइ गाजन नंदण सूर महावली,
सही विचारी वात कोइक रिण री रली ॥२॥ जेठा राजकुमार सुभट सहू एवडा ।
धसि आयो तिण ठाम (सुभट) सहु हुओ खड़ा ॥२७॥ दे आसण सनमान प्रीयोजन पूछ ही।
आया वाढल राज कहो ते किम सही ॥२८॥ आलोची सी बात वादल विहसी कहै।
जिण थी थी सुभटा लाज राज कुसले रहे ॥२६॥ आलोची निज वात माडी नै सहु कही।
राणी देई राय छुडावण री सही ॥३०॥ आलोच्यो आलोच अम्हारो ए अछ।
कीज्ये तेह विचार कहो जे तुम पछे ।।३।। बादल वोले वार कीयो ए मत्रणो।
पिण इक माहरी वात सुणि आलोचणो ॥३२॥