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________________ ४६] [पद्मिनी चरित्र चौपई झू बीया लूबीया मीर गढ ऊपरा', गोफणा फण-फणा वह गोला । गडा गड़ि गिर तणा गडागरि गिर पड़े, ___ चडाचडि उछल मुगढल्ल रहो ला ।।१६।। जालमी आलमी जोध मिलि झूझीया, धरहरै धरा धमचक धूनी । सरस सग्राम री ढाल ए पनरमी, सुगुरुराज ग्यान 'लालचद' वाजी ॥१७॥च०।। एकण दिशि रावल अनम्म, आलिमपति दिशि एक । भभकारे' बेहुं सुभट, राखण रजवट टेक ॥१॥ खाणो दाणो पूरव, रावल रण रंढाल । भारथ मे योद्धा भिड़े, रिणयोद्धा जिम काल ||२|| आलिम चिंता अति घणी, पदमणि पेखण प्रेम। गढ हाथै आवें नहीं, कहो हवै कीजै केम ॥३॥ दिल्लीपति दाखै इसौ, सुभटा ने समझाय । सहु तुमे हिव सामठा, जुड़ो तुरंगा जाय ॥४॥ नेडा होय गढ सुनिपष्ट, खोटो खानि सुरंग। बुरजा तणा पुरजां करो, देशी धड़ा दुरंग ॥५।। १ कागुरे २ भूधल होला ३ वांची ४ रणउ वपुकारे ५ मड़ : रिम ७ जडठ दुरगे
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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