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________________ [४७ पद्मिनी चरित्र चौपई ] ढाल ( २ ) चरणाली चामु डा रण चढे एहनी साहि कहै सुभटा भणी, होज्यो हिवे हुसीयारो रे। मरदानी मरदा तणी, देखेंगे इण वारो रे ।।१।। रिण रसीयो रे अलावदी, नीर वड़ा रण-धीरो रे। हलकारे हल्ला करे, मुगल सूकी वड़धीरो रे ।।२।। रिण० मरण तणो डर कोई नहिं, मरना है इक वारो रे। बहुत निवाज वडा करू , ह बहु देश भंडारो रे ॥रिणा दिल्ली अब दूर रही, हिकमति' अब मति हारो रे। रोड़ो इक-इक खेसता, होय पाधर दरहालो रे !|४|| रि०॥ कुटका कोट तणा करो, खोदि करो खल खटो रे । कूट पाड़ो कागुरा, नेडा होइ निपटो रे ।।५।। रिका निसरणी ऊंची करो, सुभट करो पैसारो रे । आणो रावल' इण घड़ी, कुहण न्यासु गमारो रे ।।६।।रि०|| तुरत उठ्या तडभडि करी, सुणि के माहि वचनो रे।। मीर मुगल मसती हुआ, सलह पहरी यतनो रे ॥७॥ रि०॥ धेठा होय ने धपटीया, दड़बड़ लागा डागा रे। वानर जेम विलगीया', लपटी गढ में लागा रे ॥८॥ रि० गणण गणण गोला वहे, जाणं सींचाण अजाणो रे ।। सगग सगग सर छूटता, बगग वगग कूहकवाणो रे ।।९।। रिol १ हिम्मति २ राणठ ३ जोसण पहर जतन्न रे ४ जाणे ५ विलविया जाण सीचाणा जाणो रे
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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