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संस्कृतटीका-हिन्दी-गुर्जरभाषान्तरसहिता
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छ । आनु बीजं कारण ए पण छे के आ 'जथरिया' नाम 'सिंहान्त' वाला छे, के जे क्षत्रियोना नामनी साथे आज काल पाछळ लगाडवामां आवे छे, वळी तेमना नामने छेडे ठाकोर शब्द पण जोडवामा आवे छे, ए पण क्षत्रिय सूचक ज छ, आ वशमा हालमा पण घणा जमीनदार तथा राजाओ छ, दरभंगा नरेश आ जातिना छे, कोई दरभंगाना प्रथम राजा रघुनन्दनने आ वंशमांज समाविष्ट करे छ भने वर्तमान दर्भगा नरेशने श्रोत्रीय ब्राह्मण माने छ ।
बौद्ध साहित्यना उल्लेखथी तेमज राहुलजीना कयनथी आटलं अवश्य मानवु जोइए के भगवान् महावीरनो वंश ज्ञातृवंश हतो, अने ते ज्ञातृवंशीय क्षत्रिय 'कुंडग्राम' नी नजीक रहेता हता, वळी आ जातृवंशीय क्षत्रियोना गाममां महात्मा बुद्ध आव्या हता, वर्तमानमा आ ज्ञातृवंशीय क्षत्रिय जथारेयाना नामथी प्रसिद्ध छे, अने ते घणे भागे विहार प्रान्तना मुजफ्फरपुर जिल्लाना रत्ती नामे परगणामा रहे छ । वळी ते जथरिया पोताना नामने छेडे सिंह तेमज ठाकोर शब्दनो उपयोग पण करे छे । अने काश्यप गोत्र होवाने लीधे जातृवंशीय क्षत्रिय होवाने सभव छ, पण आजकल ए लोको पोताने भूमिहार ब्राह्मण कहे छ। आमा केटले अशे तथ्य छे, तेनी शोध करवानी अत्यन्त आवश्यकता छ, आ सत्यशोधथी भगवान् महावीर प्रभुना ज्ञातृवंश तेमज तेमना जीवन सम्बन्धमा अज्ञानान्धाकार जे आपणी आजु बाजु फेलाई गयो छे, ते दूर थई जशे।
ठिईण सेठा लवसत्तमा वा, सभा सुहम्माव सभाण सेठा। निबाण सेठ्ठा जह सवधम्मा, ण णायपुत्ता परमत्थि नाणी ॥२४॥ .
संस्कृतच्छाया स्थितीनां (स्थितिमतां) श्रेष्ठा लवसत्तमा वा, सभा सुधा वा सभानां श्रेष्ठा । निर्वाणश्रेष्ठा त्यथा. सार्वधर्मा, न ज्ञात्पुत्रात्परमस्तिं ज्ञानी ॥२४॥