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________________ सहायक वीरस्तुतिकी विकृतिके अर्थ जिन जिन पुस्तकों का अवलोकन करके अपने अनुमवानुसार जिन जिनके प्रमाण असित किये हैं उनका नामोल्लेख इस प्रकार है। __ व्याख्यामशप्ति-आचाराग-विशेपावश्यकभाष्य-धन्यकुमारचरित-समवायानसूत्रविवृतिसूयगढांगसत्त-शब्दाधचिन्तामणि-अमरकोष-कुलार्णव-मेदिनी-धनञ्जयनाममाला-धनञ्जयजोश शब्दस्तोममहानिधि-वर्णनिर्णय-वर्णसारसमुच्चय-उत्तराध्ययनसूत्र दशवकालिकसूत्र, मार्कण्डेयपुराण-सुमापितरलसन्दोह-तत्वार्याधिगम-मनुस्मृति-वृहसव्यसंग्रह-परमात्माप्रकाश-याशवल्यस्मृति-स्थानागसूत्र-अमितगतिश्रावकाचार-समयसार-प्रवचनसार-नियमसार-योगशास्त्र-पतचलियोगदर्शन-महारानित्यपाठ-सागारधर्मामृत-पद्यमयपार्श्वनाथचरित्रअभिधानम्पदीपिका-महाभारत-शानार्णव-आवश्यकचूर्णि-जैनप्रकाशकाग्त्यानअक-परिशिष्टपर्व वात्स्यायनसूत्रशुद्धचर्या-मज्झिमनिकाय-पुरुषार्थसिम्युपाय-रलकरण्डश्रावकाचार-धवलसिद्धान्तमूलाचार-आवश्यकभाष्य-प्रशापनासूत्र-प्रवचनसारोद्धार-भगवती आराधनासार स्तोत्रममुच्चय-स्तोत्ररलाकर-काव्यमाला. इन सब पुस्तकोंके सुलेखक एव अनुवादकोंका एक साथीदारोंके नावेसे इनके साथको में कमी नहीं भूल सकता। तदुपरान्त प्रत्यक्ष या परोक्षमें जिन जिन महानुभाचोंने प्रोत्साहन प्रेरित किया है उन सवका उल्लेख करना भला में क्योंकर विस्मृत करसकू? विवृतिकारः
SR No.010691
Book TitleVeerstuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshemchandra Shravak
PublisherMahavir Jain Sangh
Publication Year1939
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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