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सणतुकुमारचरि [६९० ]
अह तहाविह गुरुहु पय- मूलि
परिवायग-वउ गहिवि निय धम्मिण पत्त- जसु विहिहि निओइण अह नरवाहण - नरवरिण
परियडंतु वसुहहं समग्ग | मज्झि वाल- तवसिहिं उदग्गहं || रयण उर- निव-भवणम्मि पहुत्तु । निसुणिवि तव वृत्तंतु ॥
[६९१]
भणिउ - महरिसि
मह मंदिर पारणउ जिणधम्मु तर्हि गयउ भणिउ - नराहिव पारणउं महियल - यह अहो -मुहह
कुणसु तुहुं अज्जु
तयणु तेण वालय- तवस्सिण | फुरिय-रोसिण हयासिण ||
[६९२]
ठविवि पट्टिहिं कंस-पत्तीए
उडुण्डु पायस असणु जिणधम्मु वि तम्भणिय
पट्टि निविण्हुण्हयरभावइ भव- उच्चग्ग-मणु
६९१. २. क. भज्ज. ५. ददु. ६९३. ५. निसटूउ.
द
तुह घरि करिसु अवस्सु । वर्णियह जइ एयस्सु ॥
उण्हुहु पायस - असणु गोसम्म वि आयरिण अह नरनाहिण विहि-सिण भणिवि अणिच्छंतु वि कह-वि
[६९३]
तयणु अमहिय - नामु सु हयासु
देसि जमिह मई अज्जु एरिसु । हिउ नियम चिट्ठे असरिसु ॥ निव्वंधिण जिणधम्मु । काराविउ तं कम्मु ॥
सणिउ सणिउ भुंजइ पहट्ठउ । विहिण सुद्ध - महियलि निसिउ || कंस-पति-दाहत्तु । विमल- विवेय-पवित्तु ॥
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