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नेमिनाहचरिउ
[६८६ ]
अह ठिs-क्खड़ सुकय-कय-रक्खु
चविवि पवर वासर मुहुत्तिण ।
सो तस्सु सुरालयह सिरि- विक्कमजस-तियसु नयरि रयण- पुरि सुष्पवित्तिण ॥ सिविण-सइण उवसूइयउ कसु वि महिभह पुत्तु । जाउ कय- सुहि सयण-सुहु बहु-लक्खण-संजु ||
[६८७]
तयणु जणइण सिविण-अणुख्कु
जिणधम्मु इय नंदणह कम- जोगिण वालगु वि गुरुहु पसाइण पत्तु लहु तह संपाविय - जस- पसरु
दिष्णु नामु गरुयरिण रिद्धिण । सहिउ सरय-ससि-मुद्ध-बुद्धिण ॥ सयल-कलोयहि- पारि । जिण सासणह वियारि ॥
[६८८ ]
काल- जोगिण
संपन्न तप्पियरि तमंदिर पहु विहिउ तय तेण उवलद्ध जच्चिय ॥ गुरु-गुण-धम्म-समज्जिणिय महियल - पयड - पयास । निस्वम-कित्ति पुरंधि निय- पह-पंडुरिय-दसास ॥
[ ६८६
कित्ति-सेसत्ति
मिलिवि सयल-सज्जणिण सोच्चिय ।
[६८९] एत्थ अंतरि भमिवि संसारि
६८६. ५. क. सपवत्तिण; ७. क. कसु ६८८. ३. सो ज्जि य.
सिरि-सीहउरम्मि पुरि नागदत्त जीवु वि स कम्मिण | उववन्तु तहा - विहह कसु विदियह गिहि पुत्त भाविण ॥ कोहण - पगड़ स-मच्छरउ अ-विहिय-स- कुलायारु । अगिसम्म- नामिण पयडु अणिय वेय-वियारु ॥
हि.