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________________ ५६ [६६२] - तसु पसाइण तुहुं विनिच्चितु सकु व रज्जहं विस ता जंपिउ मई - कहसु ता आइहउं मुणि-वरण पाडिज्जिहिहि महाडइहिं आयइढ- उत्तिम चरियमाणस - सरि मुच्चिसह असियक्खह जक्खह निययसो जाणिज्जसु निय-दुहिय मिनाहचरिउ [६६३] चिर- समज्जिय-सुकय-माहप्प होउ होसि सद्धम्म-साहणु । साहु-बसह तसु मुणण-कारणु ॥ जो तुरइण हरिऊण | तत्तु वि आऊण || --- [६६४] भणिउ मई - अह किह णु मुणि- नाह विजिय-जगिण उचियत्त-दक्खिण । करयलेण कमलक्ख-जक्खिण || रिउहु जु हणिहइ दप्पु । हियय-पिउ अवियप्पु ॥ नर- रयणह तसु वि असियक्त्व - जक्खु सो हुयउ चरिउ । नणु ता सूरिण भणिउ जायइ सयलस्सु वि जयह एत्थ वि खयराहिव तुहुँ अपु चैव सुह-अ-पेरिउ ॥ विजय- लोइ । उ इमो च्चिय जोइ ॥ ताहि ६६२. १. क. तुंह. ६६४. ३. क. वरिउ [६६५] पणय-पिउ दाण- रुइ सारय-रयणीयर - सरिसआसि नराहिg जय-पयड्डु दीवि एत्थ विकणयपुर-नयरि नियतेय - निज्जिय-तरणि फुरिय कित्ति पडिवक्ख- खंडणु । धीर-चरिउ दुन्नय-विडणु ॥ चहु-गुण-रण-निहाणु । विक्कमजस-अभिहाणु ॥ [ ६६२
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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