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६६९]
संणतुकुमारचरिउ
तसु विसप्पिर-कुल-पसूयाहं सरइंदु-उज्जल-जसहं कुंद-कलिय-सम-दंत-पतिहिं । वियसंत-मुह-पंकयहं उत्तसंत-सिसु-हरिण-नेत्तिहि ।। अंतेउरियहं रइ-समहं चिट्ठई पंच सयाई । ताहिं य सह भुजंतु निवु चिटइ विसय-सुहाई ।।
[६६७]
तहिं वि धण-कण-रयण-कलहोयसमुवहसिय-वेसमण- विहवु नयर-नर-पवर-वुद्धिउ । ससि-निम्मल-नियय-गुण- वसुबलद्ध-जस-कित्ति-रिद्धिउ ॥ निरुवम-रूवु थिर-प्पगइ इगु सस्थाहह पुत्तु । आसि पसिद्धउधरणियलि नामिण नागदत्तु ॥
[६६८]
तमु वसुंधर-पवर-सिंगार असवण्ण-लायण्ण-निहि महिय-देव-गुरु-पाय-पंकय । नव-जोव्वण तरुण-मण- रयण-हरण-विहि-विगय-संकय ॥ मिउ-भासिर थिर-चंकमिर गुरु-गुण-रयण-समिद्ध । हियय-प्पिय पिय आसि जगि विण्हुसिरि त्ति पसिद्ध ।
[६६९] - इयर-वासरि रायवाडियह गच्छंतउ धरणिवइ . . विहिय-चारु-सिंगारु मग्गिण । अवलोयइ विण्हुसिरि विजिय-तियस-सुंदरि निस ग्गिण । अह तदंसणि तक्खणिण पसरिय-गुरु-कंदप्पु । . विहुरिय-अंगोवंगु परिचिंतइ विविह-वियप्पु ।। ६६६. ७. विठुर्हि