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नेमिनाहचरिउ |
[६३८ ]
अह समासिण निविड- नेहाए
तहि सारय-ससि-मुद्दिहि ता पसरिय- हरिस-भर अह पाविय चक्कि - स्सिरि व ती सुनंदह कामिणिहि
[६३९]
अरिरि ससहर तवहि तुहुं अज्जु
मलयाणिल तुहुं फुरहि हलि कोइलि लव हुं वि अरि अरि धट्ट कुसुम-सर एह पाडेसह सयलहं वि
पुव्न-उत्त कह सयल साहिय । सा मयच्छि कुमरिण विवाहिय || फुरिय- हरिस-वावारु । सविहि वट्ट कुमारु ॥
कवि अक्खउं वत्तडी जा ताव समुल्लसियतसु खयरह कुमरिण हयह संझावलि - नामिय लहुय
लेहि पसरु सहयार तंपि हु । तुमि विभ्रमर झंकार पयडहु || पुरिसु होहि तुहुं अज्जु । तुम्हहं मत्थइ वज्जु ॥
[६४०]
तह सुलोयणि एहि जह तुज्झ
इय भणंतु पविसेइ अंगह । रोस - पसर गयणयल - मग्गह || आयणिय- वृत्तंत । भइणि तत्थ संपत्त ॥
[६४१]
किंतु कुमरह वयण- हरिणक
[ ६३८
अवलोयण-अमय-रस
मयणाणल - तत्रिय-तणु ता गंधव्व-विवाह - विहि कुमरिण संझावलि विनिय
सित्त झीण - तणु - कोह - यवह । हूय स ज्जि सवंग दुस्सह || अणुसरेवि परिणीय | वसुकय-सिण उवणीय ॥
६३८. ६. ता पाविय. ६३९. २. क. ख. मलयाणल. ६४० १. तुज्झ.