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नेमिनाहचरिउ ।
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तयणु मोडिय-छत्त-दंडेण मुसुमरिय-तस्वरिण दलिय-सयल-गिरि-नियर-सिहरिण । उप्पाडिय-मंदिरिण खणिय-खोणि-तल-रेणु-पसरिण ॥ अंधीकय-जय-लोयणिण पलयाणिल-सरिसेण । निवइ स-सेन्तु विसंतुलिउ वलयंतिण पवणेण ।।
. एत्थ-अंतरि नमिवि सिरि-सूरनरनाह-अंगुब्भविण भणिउ भावि-असमाण-रिद्धिण । वद्धाविसु हउं जि धुवु सामिसाल पई कज्ज-सिद्धिण ॥ पसिय नियत्तसु जमिह रवि- किरण च्चिय जिय-लोइ । तम-भरु पसरंतु वि हरहिं जइ न त नहयल जोइ ॥
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इय विचित्तर्हि वयण-रयणेहिं कहकहमवि विण्णविवि आससेणु नरनाहु वालिवि। सिरि-सूर-निवंगरुहु चलिउ कुमर-दिसि-मुह निहालिवि ॥ कमिण असेसि वि सेस-जणि निय-निय-ठाणि पहुत्ति । भमइ स-बाहु-विइज्जु महि सूर-नरिंद-सुओ ति ॥
[५३७] विसइ सरवर-कूव-विवरेसु गिरि-सिहरिहि आरुहइ नयरि पविसेइ पुणु पुणु । अणुधावइ काणणहं मणि धरंतु निय-मुहिहि गुण-गणु ॥ कुणइ सरीर-हिइ वि फल- पत्त-कंद-कुसुमेहिं । न रमइ पह-निवइहिं कइहिं गउरविहिं वि परमेहि ॥ ५३५. १. क. वदाविज्ममु. ५३६. १. क. रयगाई. ५३७. ४. क. भवधावइ; क.काण णहमण.