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सणतुकुमारचरिउ ..
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___ इय ठवेविण कुमरु कंदप्पभवणाजिरि कह-कह-वि कुमर-दिण्ण-आएमु तस्मुहि । अन्नेसणि तरुणियह चलिउ जाव ता नियइ ससि-मुहि ।। सहि तीए च्चिय गोरियह विहिय-पुरिस-नेवच्छ । गच्छंतिय लइयंतरहंसमुहु वियासिय-अच्छ ॥
५०७] ___ अह महिंदस्सीह-कुमरेण वोल्लाविय सा- सुयणु कहसु मज्झ को एहु वइयरु । जं दीसइ पई विहिउ पुरिस-वेस्नु वयणह अगोयरु ॥
तयणु हसेविणु गोरडी भणइ सविहि आगंतु । - निसुणसु सु-पुरिस अवहियउ होउण मह वुत्तंतु ॥ तहा हि
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दियहि पच्छिमि इह वि उज्जाणि संपत्तिय मज्झ सहि आसि मयण-पूयणह कज्जिण । ता अहरिय-विसमसर- तियस-इंद-गोविंदु रुविण ।। दिट्ठउ को-वि हु मह सहिहि मयण-भवण-दुवारि । भुवण-सिरोमणि नर-रयणु विहिय-अवहि-सिंगारि ॥
[५०९] तयणु अवगय-हियय-भावाण स-सहीण वयणिण मयण- विभमेण तस्सु पूय विरइय । तह स-करिहिं चंदणिण अंगुवंग सयलि वि विलेविय ॥ मुद्धहि मज्झ वयंसियहि अह तत्तणु-फरिसेण । अइ-कोमलिण सु-दुल्लहिण नडिउ अंगु अइरेण ॥