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८६.
ने मिनाहचरिउ..
[७८२]
इय विचितिरु चरणु अणुचरिवि कम्म- जणिय-गुरु-वाहि वेयण । कहिय किरिय चिर-पाव - भेयण || पुरिस चरिय सरंतु । निच्चु विहिय धरंतु ||
अहियासिवि पुच्च-निय परिसीलिवि सयल - जिण
उसह-भरह - पमुहुत्तिमहं जिणवर- वयण - महोस हईं
[७८३]
सुहिण कुमरहं
निव-रज्जि वि अगमिवि चक्कित्ति समणत्तणि वि परिवालेवि अहक्कमिण आय-अंति खविवि असुह
गिरि-रायह सिहरन्तलि
निय पावई विहडिउण
सणतुकुमार-सुराल
भात्रि मंडलिय
वरिस सहस पन्नास पिहु पिहू | लक्खु लक्खु इय सच्चओ वि हु ॥ तिष्णिं वरिस लक्खाई । कम्म रोग दुक्खाई ॥
[७८४]
t समय-नीरण गंत सम्मेय
मासिएण तव कम्म- जोगिण । विहिय-सुद्धि निम्मल- विवेगिण ||
गयउ सु सणतुकुमारु ।
मह-रिसि गुरु-गुण-रत्त मणु पाविय - जी विय- सारु ॥
[७८५]
तत्थ महरिह - विसय सुक्खाई
[ ७८२
! सुरनाह-सामाणियहं सुरहं उचि चिर कालु सेविवि । कम जोगिण, पुणु तउ वि निय-ठिईए पजंतु पाविवि ॥ होउ विदेहि निवंगरुह सेविय चरणायारु । सुगहि-नामु सुसज्झिहर खविय - पाव - पन्भारु ॥ .
७८३. १. क. सु and कु mixed in कुमर हे. ७८४. ७. क. सु missing.