________________
७८६ 1
संगंतुकुमारचरित
[७८६] इय निरंतरु मणिण जिणचंदमुणिनाह-सीसुत्तिमह सुयण-सुहय-गुण-रयण-भूरिहि । सुमरंतिण अणुदिणु वि नाम-मंतु सिरिचंद-सूरिहि ॥ सिरि-हरिभद्द-मुणीसरिण विरइउ लेसिण एहु । सणतुकुमार-नराहिवह चरिउ सुकय-कुल-गेहु ॥
इति श्रीश्रीचंद्रसूरि-क्रम-कमल-भसलश्रीहरिभद्रसूरि-विरचित-श्रीमदरिष्टनेमि-चरिते श्रीसनत्कुमारचक्राधिराज-चरितं समाप्तमिति* ॥
* कै. मंगलं महा श्रीः ॥