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प्रपं-उस वाक कामधेनु को अर्जन करने की कोशिश करना हमारा काम है फिर कोई नोहे के समान होकर उसका उप पोने को वेष्ट। कगे और कोई जोक की तरह से उसके खून काही प्यामा रहो यह उसको इच्छा पर ही निर्भर है।
म पनिजातबनोऽभिवादन यात्र मियावदनी विपादः । नयाम्हिादश इव प्रसङ्गाः प्रवीयता भी ललितान्तरङ्गाः ।२८।
प्रयं-हे मुन्दर अन्तरङ्ग वाले पाठक लोगों हमारी इस कृति में माय बोलने वाले का बोलबाला पोर भूठ बोलने वाले का मुंह कालाजिम प्रकार हवा. उन दोनों बातों का पोकरण प. पर दपंग की तरह साफ. २ दृष्टिगत होगा। श्रीपाब? नगी मदन नामा विधामीश उदानवृत्तः । नाम्ना मुमित्रा गृहिणी न्यथामाधम्याचमकन्यपुनीनगशिः ।२९
प्र:-प्रय हम कथा प्रसंग पर प्राते हैं तो कहना होता है कि. हमी भरतक्षेत्र में एक बोपनखा नाम का नगर है, वहां पर किमी एक समय उदार • ले प्राचरण वाला एक मुदत्त नामका वंयवर होगया है, जिसके मुमित्रा नाम को प्रोरत यो जो कि भले निदोष कतव्य करनेवाली यो।
निमगरूपंण हुदा पवित्रम्नयोगिहामादपिभद्रामित्रः मान्य करावानिव शुक्लपक्ष द्विनाययोःमन्मु मुनःम दक्षः ।३०
अपं-- उन दोनों के ए भमित्र नामका लड़का हवा जो किसहजरूपसे हो सरल पोर शुचित का धारक पा मोर सम्बन