SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ म्लेच्छों से विवाह । ६७ शासन करने वाले श्रार्य जाति के चक्रवर्ती राजाओं को भी म्लेच्छ ठहरा दिया है ! आप लिखते हैं: :-- 61 खूब [1] क्या मलेक्षों का राजा भी मलेक्ष ही होगा ? और भीलोंका राजा भी भील ही हो, इसका क्या प्रमाण ? यदि कोई हिन्दुस्तान का राजा हो तो हिन्दू ही हो सकता है क्या ? और जरमनका जरमनी तथा मुसलमानोंका मुसलमान ही हो सकता है क्या ? यदि ऐसा ही नियम होता तो चक्रवर्ती जोकि मलेक्षखण्ड के भी राजा होते हैं । लेखक महोदय के विचारानुसार वे भी मलेक्ष कह जाने चाहिये । इस नियमानुसार पूज्य तीर्थंकर श्री शांतिनाथ कुन्थुनाथ, अरहनाथ जोकि चक्रवर्ती थे, लेखक महोदय की सम्मति अनुसार वे भी इसी कोटि में आसकेंगे ? अतः इसका कोई नियम नहीं है कि किसी जाति या देशका राजा भी उसी जाति का हो अतः इस लेख से यह सिद्ध होता है कि जरा कन्या भील जाति की नहीं थी । "" पाठकजनं देखा ! समालोचकजी कितनी भारी समझ और अनन्य साधारण बुद्धिके थादमी है ! उन्होंने लेखकके कथनको कितनी बढ़िया समालोचना कर डाली !! और कितनी आसानी से यह सिद्ध कर दिखाया कि 'जरा' भील जातिकी कन्या नहीं थी !!! हम पूछते हैं यह कौन कहता है और किसने कहाँ पर विधान किया कि म्लेच्छांका राजा म्लेछही होता है, भीलोंका राजा भीलही होता है, हिन्दुस्तानका राजा हिन्दू ही होता है और मुसलमानोका राजा मुसलमानही हुआ करता है ? फिर क्या अपनी ही कल्पनाकी समालोचना करके आप खुश होते हैं ? क्या जिस राजाकी बाबत यह कहा जाता हो कि यह 'हिन्दूराजा'
SR No.010667
Book TitleVivah Kshetra Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherJohrimal Jain Saraf
Publication Year1925
Total Pages179
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy