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पारापते रो वा ॥८॥१८०॥ मात्रटि वा ॥ ८॥ १।८१ ॥ उदोदा । ८।१।८२॥ ओदाल्यां पङ्क्तौ ।। ८।१।८३ ॥ इस्वः संयोगे ॥ ८ ॥ १८४॥ इत एद्वा ॥ ८।१।८५ ॥ किंशुक वा ।।८।१।८६ ॥ मिरायाम् ॥ ८ ॥ १। ८७ ॥ पाथ-पृथिवी पतिश्रुन्मूपिक-हरिद्रा-विभीतकेष्वत् ॥८।१ । ८८ ॥ शिथिलेङ्गुदे वा ॥ ८॥२॥८२ ॥ वित्तिरी रः ॥ ८॥२।९० ॥ इतौ वो वाक्यादौ ॥ ८॥१॥ ९१ ॥ इजिहा-सिंह-त्रिंशदिशती त्या ॥८।१ । ९२ ॥ लुकि निरः॥८।१।२३ ॥ द्विन्योरुत ॥८।१।९४ ॥ प्रवासीक्षौ ॥ ८॥ १।९५ ॥ युधिष्ठिरे वा ॥ ८।१ । ९६ ॥ ओच्च द्विधाकृगः॥ ८॥१॥ ९७॥ वा निझरे ना ॥ ८॥१॥९८ ॥ हरीतक्यामीतोत् ॥ ८॥१।९९ ।। आत्कश्मीरे ॥८।१।२००॥ पानीयादिवित् ॥ ८॥१। १०१ ॥ उज्जीणे ॥ ८ । १।१०२ ॥ ऊहीन-विहीने वा ॥ ८॥१।१०३ ॥ तीथे हे ॥ ८।१।१०४ ॥ एत्पीयूपापीड-विभीतक-कीदृशेदृशे ॥८।१।१०५॥ नीडपीठे वा॥ ८ ॥ १।१९६॥ उतो मकुलादिष्यत् ।।८।१।१०७ ॥ वोपरौ ॥ ८।१।१०८ ॥ गुरौ के बा । ८।१।१०९ ॥ इभ्रंजुटौ ॥ ८॥१। ११० ॥ पुरुषे रोः ॥ | ८११।१११॥ ई. क्षुते ।।८।१।११२॥ उत्सुभग-मुसले बा ॥८।१।११३॥ अनुत्साहोत्सने सच्छे ॥८।२।११४॥ लुकि दुरोवा।।८।१२११५॥ ओत्संयोगे ।।१।११६॥ कुतूहले वा इस्वच ॥ ८ ॥ १। ११७ ॥ अदूनः शुक्षो वा ॥८११।१२८॥ दुकले वा लश्च दिः ।।८।२।११९॥ इर्वोद्वयूढे।। ८।१।१२०॥ उद्म-हनूमत्कण्डूय-वातूले ॥ १॥ १२१ ॥ मधूके वा ॥ ८ । १ । १२२ ॥ इदेतौ नूपुरे वा ॥ ८॥ १। १२३ ॥ गोत्कूष्माण्डी-तूणीर-कूपर-स्थाल-ताम्बूल-गुडूची-मूल्ये ॥ ८ ॥ १। १२४ ॥ स्थूणा-तुणे वा ।। ८1१ | १२५ ॥ ऋनोऽत् ॥ ८॥२॥ १२६॥ आत्कशा-मृदुक मृद्धत्वे वा ॥८।१ । १२७ ॥ इत्कृपादौ ॥८१।१२८ ॥ पृष्टे वानुत्तरपदे।।
८ ।१२९ ॥ मसूण-मृगाक-मृत्यु शृङ्ग-धृष्टे-वा ॥८।१ । १३० ॥ उदृत्तादौ ॥ ८।१ । १३१ ॥ निवृत्त-वृन्दारके वा। ८।१ । १३२ ॥ वृषभे वा | ॥८।१।१३३ ॥ गौणान्त्यस्य ॥ ८॥ १।१३४ ॥ मातुरिद्वा ॥ ८1१। १३५ ॥ उदोन्मपि ॥ ८॥ १।१३६ ॥ इदुनौ वृष्ट-वृष्टि-पृथङ्-मृदङ्ग-नप्तृके ॥८। | २ । १३७ ॥ वा वृहस्पतौ ॥ ८ । १ । १३८ ॥ इदेदोद्दन्ते ॥ ८ । १ । १३९ ॥ रिः केवलस्य ॥ ८ । १ । १४० ॥ ऋणर्वृषभत्āपौ वा ॥ ८ ॥ १ । १४१॥ दृशः
क्विप्-टक्सकः ॥ ८ ॥१॥ १४२ ॥ आदृते दिः ॥ ८।१।१४३ ॥ अरिदले ॥८।१।१४४ ॥ लत इलिः क्लुप्त-क्लन्ने ॥ ८।१।१४५ ॥ एत इवा वेदना| चपेटा-देवर-केसरे ॥ ८॥१॥ १४६ ॥ ऊः स्तने वा ॥८॥१।१४७ ॥ ऐत एत ॥८।१। १४८ ॥ इत्सैन्धव-शनैश्चरे ॥ ८॥१॥ १४९ ॥ सैन्ये वा ॥८॥ २॥ १५० ॥ अइदैत्यादौ च ॥ ८।१।१५१ ॥ वैरादौ वा ॥ ८।१ । १५२ ॥ एच दैवे ॥ ८।१ । १५३ ॥ उच्चैनीचैस्यः ॥८।१।१५४ ॥ ईद्वैयें ॥ ८ । १।१५५ ॥ ओतोद्वान्योन्यप्रकोष्ठातोद्यशिरोवेदनामनोहरसरोरुहे क्तोश वः॥८।१ । १५३ ॥ ऊतगोच्छयासे ॥८॥१।१५७ ।। गव्यउ-आअः ॥ ८॥ १॥ १५८ ॥ औत ओत ॥८॥१॥ १५९ ॥ उत्सौन्दर्यादौ ॥८।१।१६० ॥ कौशेयके वा॥८॥१।१६१ ॥ अउः पौरादौ च ॥दा१।१६२॥ आच गौरखे
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