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(III)
कविविवेचन, काव्यपरीक्षक भावक विवेचन, भावक प्रकार।
(ख) 'काव्यमीमांसा' में वर्णित विदग्धगोष्ठी तथा राजचर्या
विदग्धगोष्ठी विवेचन, राजचर्या विवेचन।
सप्तम अध्याय
272-319
काव्यमीमांसा में देश तथा कालविवेचन
देशविभाग :- लोकविभाग, समुद्र, जम्बूदीप-उसके पर्वत तथा देश, भारतवर्ष, चक्रवर्तिक्षेत्र, कुमारीद्वीप के सात कुलपर्वत, आर्यावर्त, सम्पूर्ण भारत के पाँच विभाग- पूर्वदेश, दक्षिणापथ, पश्चिमदेश, उत्तरापथ, मध्यदेश, दिशाओं की संख्या, विभिन्न दिशाओं के
लोगों के वर्ण।
कालविवेचन :- कालगणना, सम्पूर्ण वर्ष में दिन-रात का बढ़ना, सौरमान, पितृमासमान तथा चान्द्रमास; चान्द्रमास से सम्बद्ध संवत्सर तथा ऋतुचक्र, विभिन्न ऋतुओं की वायु का दिशानिर्देश, ऋतुचक्र:'काव्यमीमांसा' तथा 'ऋतुसंहार' में वर्णित वर्षा, शरद्, हेमन्त, शिशिर, वसन्त, ग्रीष्म ऋतु वर्णन। ऋतु की अवस्थाएँ, पुष्पों की उपयोगिता, वृक्ष तथा लताओं के फूलों, फलों में समयान्तर, फूलों के प्रकार।
अष्टम अध्याय
320 - 325
उपसंहार
सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूची
326 - 332