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वानवासक :- उत्तर कनारा। यह वरदा नदी के बाएँ तट पर बसा है। वरदा तुङ्गभद्रा की
सहायक नदी है
सिंहल :- प्रसिद्ध सीलोन द्वीप।
चोल :- तंजौर और दक्षिण आरकाट के जिले।
दण्डक :- सम्भवतः चोल और काञ्ची के मध्यवर्ती 'तो. मंडल' या 'डिंडीवनम्'। पांड्य :- वर्तमान उरयूर स्थान, जो त्रिचनापल्ली जिले में है।
पल्लव:- काञ्ची के चारों ओर का स्थान पल्लव कहलाता था।
गाङ्ग:- यह दक्षिण का कोंगु-प्रदेश प्रतीत होता है, जिसमें कोयम्बटूर और सलेम के जिले भी
सम्मिलित हैं।
नाशिक्य :- प्रसिद्ध नाशिक पञ्चवटी है। यह गोदावरी के तट पर स्थित है।
कोङ्कण :- परशुराम क्षेत्र । यह सूरत (सूर्यपत्तन) से रत्नगिरि तक फैला है। कल्याण, बम्बई आदि इसी के अन्तर्गत हैं।
कोल्लगिरि :- वर्तमान कुर्ग, जिसमें मैसूर भी सम्मिलित है।
वल्लर :- मद्रास प्रान्त में वेंकटगिरि, चित्तूर और वेल्लौरी जिलों का सम्मिलित भू-भाग। दक्षिणापथ के पर्वत, नदियाँ तथा उत्पाद्य वस्तुएँ :
विन्ध्य का दक्षिणी भाग, महेन्द्र, मलय, मेकल, पाल, मञ्जर, सह्य, श्रीपर्वत आदि पर्वतों का 'काव्यमीमांसा' में उल्लेख है। नर्मदा, तापी, पयोष्णी, गोदावरी, कावेरी, भैमरथी, वेणा, कृष्णवेणा, वञ्जुरा, तुङ्गभद्रा, ताम्रपर्णी, उत्पलावती, रावणगङ्गा आदि दक्षिणापथ की नदियाँ हैं। मलय में उत्पन्न होने वाली वस्तुएँ - चन्दन, इलायची, कालीमिर्च, जायफल, मोती, कपूर, आदि दक्षिणापथ की उत्पाद्य वस्तुएँ हैं।